भक्ति (Bhakti)
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भक्ति के विषय में यह मान्यता रही है कि यह बस अल्प बुद्धि वालों के लिए उपयुक्त मार्ग है, जबकि वास्तव में बिना बोध के भक्ति बस अंधविश्वास और मूर्खता बनकर रह जाती है। आमतौर पर यह धारणा होती है कि भक्ति का अर्थ है कुछ किस्से-कहानियों को बिना तर्क किए मान लेना। हम इन भ्रामक परिभाषाओं से बच सकें, इसलिए आवश्यक है कि हम इसका अर्थ उनसे सीखें जिन्होंने भक्ति की ऊँचाइयों को छुआ है।
प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य प्रशांत हमें अनेक संतों से परिचित करवाते हैं और यह समझने में मदद करते हैं कि भक्ति वास्तव में क्या है और क्या नहीं है। कबीर साहब, बाबा बुल्लेशाह, मीरा और न जाने कितने संत हमें भक्ति रस में डूबने के लिए आमंत्रित करते हैं। अब चुनाव हमारा है — या तो हम भक्ति की छवियों में उलझकर अपना जीवन व्यर्थ गँवा सकते हैं, या अपने जीवन को भक्तिमय बना सकते हैं।
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भक्ति के विषय में यह मान्यता रही है कि यह बस अल्प बुद्धि वालों के लिए उपयुक्त मार्ग है, जबकि वास्तव में बिना बोध के भक्ति बस अंधविश्वास और मूर्खता बनकर रह जाती है। आमतौर पर यह धारणा होती है कि भक्ति का अर्थ है कुछ किस्से-कहानियों को बिना तर्क किए मान लेना। हम इन भ्रामक परिभाषाओं से बच सकें, इसलिए आवश्यक है कि हम इसका अर्थ उनसे सीखें जिन्होंने भक्ति की ऊँचाइयों को छुआ है।
प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य प्रशांत हमें अनेक संतों से परिचित करवाते हैं और यह समझने में मदद करते हैं कि भक्ति वास्तव में क्या है और क्या नहीं है। कबीर साहब, बाबा बुल्लेशाह, मीरा और न जाने कितने संत हमें भक्ति रस में डूबने के लिए आमंत्रित करते हैं। अब चुनाव हमारा है — या तो हम भक्ति की छवियों में उलझकर अपना जीवन व्यर्थ गँवा सकते हैं, या अपने जीवन को भक्तिमय बना सकते हैं।





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