Skip to product information

हनुमान चालीसा का वेदान्तिक अर्थ (Hanuman Chalisa ka Vedantik Arth)

Regular price Rs. 99.00
Sale price Rs. 99.00 Regular price Rs. 200.00 51% Off
Tax included. Shipping is Free.
Book Cover Type

Out of stock

आप हनुमान जी को बस ऐसे सोचो कि 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे' — माने रास्ते में जा रहे हैं और भूतों से बहुत डर लगता है तो बीच-बीच में पाठ करते रहते हैं — तो ये दुरूपयोग कर लिया हनुमान का। फिर आप समझे ही नहीं कि हनुमान किसके प्रतीक हैं। धर्म में सिर्फ़ प्रतीक होते हैं, तथ्य तो वहाँ होते ही नहीं। और उन प्रतीकों को पढ़ना पड़ता है, देखना पड़ता है कि इनका इशारा किधर को है। जो इशारा नहीं समझते, उनके लिए बड़ी मुश्किल हो जाती है।

बहुत लोग हैं पश्चिम में जो कहते हैं कि भारतीय वानरों की पूजा करते हैं, 'द मंकी गॉड'। उनको नहीं समझ में आ रहा कि क्या दिखाया जा रहा है, क्योंकि वानर हम सब हैं। शरीर से हम सब बिलकुल वानर ही हैं पर वानर होते हुए भी कैसे राम की ओर बढ़ा जा सकता है, इसके प्रतीक हैं हनुमान, 'मंकी गॉड' नहीं हैं। अब ये जाने बिना हनुमान भक्ति कर रहे हो तो क्या कर रहे हो? बस वही कि परीक्षा में पास करवा देना, नौकरी दिला देना, पत्नी दिला देना, या और कामनाएँ। उसमें क्या है?

जब तक उनके वानर रूप का अर्थ नहीं जाना, जब तक ये नहीं जाना कि हम सब वानर हैं और वानर होते हुए भी हृदय में राम हो सकते हैं, तब तक हनुमान आपके लिए सार्थक नहीं हुए। और सिर्फ़ वेदान्त के ही आधार पर किसी भी बात की, कथा की या दर्शन की व्याख्या की जा सकती है। वेदान्त कुंजी है, उसी से सारे ताले खुलेंगे। वेदान्त ये नहीं कह रहा कि बाकी दरवाज़ों पर मत जाओ, सिर्फ़ एक दरवाज़े से प्रवेश करो; वेदान्त कह रहा है सब दरवाज़ों पर जाओ लेकिन कुंजी यहाँ से मिलेगी। वो कुंजी नहीं ली तो कोई दरवाज़ा नहीं खुलेगा तुम्हारे लिए। वेदान्त अपनेआप में कुछ है नहीं, एक कुंजी भर है। वो कुंजी ले लो फिर तुम्हें जिस धारा में प्रवेश करना हो, कर लो।

Read More

आप हनुमान जी को बस ऐसे सोचो कि 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे' — माने रास्ते में जा रहे हैं और भूतों से बहुत डर लगता है तो बीच-बीच में पाठ करते रहते हैं — तो ये दुरूपयोग कर लिया हनुमान का। फिर आप समझे ही नहीं कि हनुमान किसके प्रतीक हैं। धर्म में सिर्फ़ प्रतीक होते हैं, तथ्य तो वहाँ होते ही नहीं। और उन प्रतीकों को पढ़ना पड़ता है, देखना पड़ता है कि इनका इशारा किधर को है। जो इशारा नहीं समझते, उनके लिए बड़ी मुश्किल हो जाती है।

बहुत लोग हैं पश्चिम में जो कहते हैं कि भारतीय वानरों की पूजा करते हैं, 'द मंकी गॉड'। उनको नहीं समझ में आ रहा कि क्या दिखाया जा रहा है, क्योंकि वानर हम सब हैं। शरीर से हम सब बिलकुल वानर ही हैं पर वानर होते हुए भी कैसे राम की ओर बढ़ा जा सकता है, इसके प्रतीक हैं हनुमान, 'मंकी गॉड' नहीं हैं। अब ये जाने बिना हनुमान भक्ति कर रहे हो तो क्या कर रहे हो? बस वही कि परीक्षा में पास करवा देना, नौकरी दिला देना, पत्नी दिला देना, या और कामनाएँ। उसमें क्या है?

जब तक उनके वानर रूप का अर्थ नहीं जाना, जब तक ये नहीं जाना कि हम सब वानर हैं और वानर होते हुए भी हृदय में राम हो सकते हैं, तब तक हनुमान आपके लिए सार्थक नहीं हुए। और सिर्फ़ वेदान्त के ही आधार पर किसी भी बात की, कथा की या दर्शन की व्याख्या की जा सकती है। वेदान्त कुंजी है, उसी से सारे ताले खुलेंगे। वेदान्त ये नहीं कह रहा कि बाकी दरवाज़ों पर मत जाओ, सिर्फ़ एक दरवाज़े से प्रवेश करो; वेदान्त कह रहा है सब दरवाज़ों पर जाओ लेकिन कुंजी यहाँ से मिलेगी। वो कुंजी नहीं ली तो कोई दरवाज़ा नहीं खुलेगा तुम्हारे लिए। वेदान्त अपनेआप में कुछ है नहीं, एक कुंजी भर है। वो कुंजी ले लो फिर तुम्हें जिस धारा में प्रवेश करना हो, कर लो।

You Also Viewed

हनुमान चालीसा का वेदान्तिक अर्थ (Hanuman Chalisa ka Vedantik Arth)

हनुमान चालीसा का वेदान्तिक अर्थ (Hanu...

Regular price Rs. 99.00
Sale price Rs. 99.00 Regular price Rs. 200.00